Wednesday, 28 March 2012

येही है सिलसिला तिजारत का

कई है नाम जिन्दगी में करीबी रिश्तों के
सभी रिश्तों में तिजारत का नाम होता है
कही बिकते है और कोई खरीद ले जाता है
एक ही पल में ये रिश्ते यहाँ बदलते हैं

एक छोटी सी तितली फूल से रिश्ता रख ले
कल कोई फूल तोड़ कर के बेच आयेगा
पलक झपकी नहीं और एक कली फूल बनी
कोई तितली से रिश्ता वो निभाएगा ??

सभी मशगूल हैं अपने यहाँ बाजारों में
कही बिकती है दुल्हन यहाँ  रुखसारों में
एक घूघट से कोई दुल्हनो का वेश धरे
कल तो घूमी यहाँ ऐसे खुले बाजारों में,,,

फरेब और तिजारत सभी मखौल  यहाँ
कई रिश्तों की कहानी नहीं ये दास्ताँ है
हमने पढ़ तो लिया उसके मजमूनो से
मगर बाजार अब भी शख्स बेचा करता है,

3 comments:

  1. aapko ye kavitaa kaisee lagee

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    1. बहुत अच्छी लगी।
      प्लीज़ ब्लॉग को अपडेट भी करते रहिए।



      सादर

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  2. तिजारत जिंदगी का एक अहम हिस्सा है सुमन

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