Friday, 10 August 2012

आम आदमी....

आम आदमी....

by Suman Mishra on Tuesday, 17 July 2012 at 23:46 ·


हम आम आदमी  तुम आम आदमी
क्यों,,,,क्योंकि इस देश के नागरिक जो हैं
जिस तरह से सहन शीलता भरी हममे
घोटालों का दर्शक बस आम आदमी


स्वतंत्रता दिवस आम आदमी के लिए ही
कभी एक दिन के लिए आजाद जो हुआ था
खुद पे ही खुद के लोगों का शाशन
कुर्सी  देकर उन्हे खुद को बर्बाद जो किया था

आज धूप में खडा हुआ, नंगे पाँव चलता हुआ
लम्बे झोले को लेकर घर से निकला हुआ
भावों की मर्मान्तक मार खाता हुआ
खुद के भाग्य को कोसता हुआ आम आदमी



बड़ी बड़ी गाड़ियों के बीच से खुद को बचाता हुआ
ये आम आदमी कहीं विलुप्त के कगार पर तो नहीं
उसके सपने बहुत ऊँचें है
सिनेमा के पोस्टर्स में खुद को देखता हुआ
झल्लाहट में उलझता हुआ आम आदमी

सपनो की सीढ़ी चढ़ पायेगा क्या ?
माँ बाप के ख़्वाबों के घरोंदे में रहता हुआ
बचपन ख़तम कर अब बड़ा भी हो जा
ये आम आदमी ने अपने बच्चो को सिखाया है


सुबह के उजाले से रात के अँधेरे तक
शब्दों के जखीरे से , सच्चाई के मंजर तक
दौड़ता , भागता, रुकता हुआ आम आदमी
कहीं बे-परवाही, कहीं रोष से भरा हुआ
ये  आम आदमी वो आम आदमी


पूछो ज़रा कहाँ जाता है रोज
पूछो तो कहाँ दबिश बजाता है
सूरज की किरने और माथे पर बल
किसी तरह दिन बिताता ये आम आदमी

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