Friday, 10 August 2012

हे ! प्रलय के देवता तुम शांति का उपहार दे दो

हे ! प्रलय के देवता तुम शांति का उपहार दे दो

by Suman Mishra on Saturday, 14 July 2012 at 00:34 ·




हे प्रलय के देवता तुम
शांति का उपहार दे दो

कर रहा संहार मानव ,
सबक का आकार दे दो


चल अचल ढेरों पे बैठा,
हनन कर अधिकार लेते

दर्शकों से देखते तुम,
क्यों नहीं प्रतिकार करते



जल पे तुम कलि नृत्य करते
थल पे नटनागर बने हो,
उलझती गंगा की धारा
प्रलय का आह्वान सुनते

क्यों नहीं तुम समझ लेते
भक्त के मन की व्यथा को
छोड़ कर कैलाश प्यारा
आज आ जाओ धरा पर





आपदा के महल निर्मित ,
भय की पगडंडी बनी है

पथिक मन रहता यहीं पर,
जाने का है ताना बाना


क्यों नहीं ये ठौर अपनी,
तुम बसों अब साथ सबके

एक युग की बात बीती ,
अब रचो नव युग येही से

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