Monday, 12 September 2011

श्याम बांसुरी


श्याम बांसुरी छुवत ही लागे , मन तन से मैं श्याम होवे गयी,
धरनी धरन के पगन की धुन मन ही मन अभिराम होवे गयी,
रंग रूप सब बदल गयो है, श्याम श्याम अब सबही पुकारे,,
नाचत छम छम कदम के नीचे, श्याम आज अब नाहीं म्हारो

ई जो बांसुरी तन से लागी, मन वैराग मैं बदलन लाग्यो ,
मन भंवरा अब उड़त गिरत है, तन सरोज कुम्भ्लात हमारो,
रीति प्रीती सब भूल गयी है, कोऊ ना मोको राधे पुकारेयो,
श्याम ,कन्हैया मन विलखत है, तोरी बांसुरी तुम्ही सम्भारेयो

मन है विहग तन भयो सांवरो, अब ई पर ना वश है हमारो,
सुध बुध खोय सब हार गयो मन, सब कुछ प्रियतम भयो तिहारो,
स्वर लहरी सब नाद निनादित, सब मैं ब्यापित नाद विचारो,
अब न कहैगो राधे मोको, श्याम कहो अब लागत प्यारो,


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