क्योंकि वो लड़की है
by Suman Mishra on Wednesday, 28 September 2011 at 19:36
क्यों कहते हैं ये लड़की है, जाने दो औरत जात है ये,
अब क्या बोलूँ ये रक्त उबलता पल पल ये सब सुन सुन कर,
हो गया जनम , कुछ आहों से , ओह क्या जन्मी -ओह ! लड़की है,
बचपन प्रतिबंधों से बंधित क्यों मन है ब्यथित "वो लड़की है.
हे! बिटिया बाहर मत जाना थोडा समझो तुम लड़की हो,
ये जनम लिया लड़की बन कर, बाहर देहलीज पे रुके कदम,
कहते हैं सब रस्मी बातें, हो गया जमाना बदतर ये,
उन्नति अवनति के माने क्या, सब तौल रहे "वो लड़की है".
जीवन के जितने भाव यहाँ, बस विरह प्रेम से नाता है,
संरछक ना हो जीवन मैं, फिर लड़की से क्या हो पाता ,
ये तो है पराया धन तबसे ,जब जनम लिया इस धरती पर,
जो भी कर्तव्य निभाया वो सब मिथ्या है "वो लड़की है"
बस शांति दया की मूर्ती रहे ,स्वागत सत्कार मैं हो आगे,
मीठी वाणी और सृजन ही बस, नम आँखें जलपूरित जागे,
कितने भी सुंदर स्वप्न दिखे, बस नेत्र सजल और पूर्ण हुआ,
अब किन शब्दों मैं बया करू ,क्योंकि "वो तो लड़की है"
माँ की ममता से ओत प्रोत, निर्झर वात्सल्य है उसके मन,
सारी पीड़ा को जज्ब किये, बस निकली घर से खुशी लिए,
अब प्रेम दिखाओ इससे तुम, या करो समर्पित अग्नि इसे,
ये अब वापस ना जाएगी , है लाज बंधी आँचल इसके
सारी बंदिश को तोड़ ताड़ जब नारी आगे आएगी,
ये प्रकृति जन्य विविधा लड़की अपनी शक्ति दिखलाएगी,
क्या दंभ तुम्हें इस शक्ति पर, क्या मर्यादा पुरुषों को ही,
"वो लड़की है" पर विवश नहीं , पूछो गर राह दिखायेगी,,,
"क्योंकि वो लड़की है "
No comments:
Post a Comment