Thursday, 20 October 2011

हदों मैं रखके तो देखो,


 हदों मैं रखके तो देखो, मुकामों की परवरिश है
हदों से बाहर आओगे, मंजिलें दूर ही होंगी,
हदों मैं रहके सपनो की नयी बुनियाद बनती है,
हदों को लांघ कर देखा तो बस ये धूल उडती है.

 हदों की सीमा अपनी है, उसे तय करना मन से है,
खवाहिशें थोड़ी सी हैं, मगर फेहरिस्त लम्बी है,
हदें अपनी जो जकड़ी हैं उन्हें स्वछन्द तो कर दो,
वो खुद ही सामने आ कर,दायरे पेश कर देंगी.

बहुत आगे अभी जाना ,मगर रस्ता है वीराना ,
उसे खोजा बहुत मैंने, मिला तो नहीं पहचाना
सूना है साथ चलता है, वो साया अपना ही तो है,
गिरे गर सूनी राहो मैं, हाथ उसका है ये जाना .

कभी संयम, कभी अद्भुतत रोशनी दिख रही मुझको,
कहीं तो हद मैं वो होगा, कहीं उसकी विरासत है,
जो लिखा नाम मैं मेरे, उसे हद में ही पाना है,
अगर वो मेरा है तो मेरा सर उसकी हद मैं झुकाना है,

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