Thursday, 13 October 2011

आंसुओं अब राह बदलो, अब सवेरा हो गया है,




आंसुओं अब राह बदलो, अब सवेरा हो गया है,
तम नहीं अब लालियाँ हैं,सूर्य मुखरित हो चला है,
निशा की तन्हाइयां , त्रस्त मन और ये उजाला,
व्यथा धूमिल हो चली है, आगमन प्रियतम तुम्हारा.


कुछ कठिन और मोह तम ये कोहरे सी मन मैं उदासी,
उड़ गयी सब धुवां बनकर, लालिमा अब है उजासी,
रश्मि की जब प्रभा मन आ मिली बन कर सहेली,
कान मैं कुछ कह गयी वो, बुझती हूँ अब पहेली,

रास्ते बदले हमारे चाल मैं है गति मध्यम,
ज़रा रुक स्पर्श कर लूं , बूँद पत्तों पे ज़रा नम,
उड़ गयी जाने कहाँ ये , ओस थी अब तलक बैठी,
आंसुओं ने राह बदली, थम गयी अलकों पे शबनम. 

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