Friday, 16 December 2011

पंख लगेगे तब उड़ लेना , अभी सहारा धरती का है....


by Suman Mishra on Monday, 12 December 2011 at 11:36



पंखों का आकार , प्रकार ,कहाँ कहाँ  पर मिलते हैं,
कीमत कितनी, कैसे रंगों से लबरेज हैं ये,
मुलायम,कठोर, खुरदुरे,या मखमली से,
या मन के परवाज जो अदृश्य से रहते हैं .


ये मिले तो मन उड़ान भर ही लेगा हर जगह,
ये मिले तो कल्पना को सार्थक कर ही लेगा,
सपनो की दुनिया से बाहर रंग-बिरंगे पंख,
मुझे बता दो कहाँ कहा पर मिलते हैं ये पंख.

 
मन मयूर के नृत्य के  घुँघरू कौन सा ताल बजाते हैं,
जीवन के रंगों में ऐसा रंग कौन सा रंग दिखाते हैं
अंतिम और प्रारंभ रूप का रंग कौन सा रंग भरे,
इन्द्रधनुष के सात रंग भी मिलके एक हो जाते हैं.

पंख लगेगे तब उड़ लेना अभी सहारा धरती का,
इसी धरातल पर मिलते हैं ,पंखों के उद्गम आसार
मन की शक्ति ,धरातल से लो,पैरों को ही पंख बना ,
अभी सहारा धरती का है, जीवन को तू विहग बना,

 
इधर उधर मन भटक भटक कर क्यों उड़ने की सोचे तू,
कल्पित को आकार बना कर , कुछ स्वरुप तो भर ले तू,
दीपशिखा की कम्पित लौ ,यूँ थर थर करती बायु में,
हाथों के ओटों से रोक लो, ना बुझने दो इसको तुम.

दृढ शक्ति और मन के कपाट ये खुला कहा सा दृश्य  यहाँ,
ज्ञान मार्ग और मन आकांछा दोनों के रस्ते का जहां

पहले इस धरती के कर्जे, पूरे कर के फिर उड़ना,
पंख लगेगें तब उड़ लेना ,अभी सहारा धरती का.


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