Friday, 16 December 2011

सीमा के उस पार खिले उस फूल को तुम बस लेते आना


by Suman Mishra on Friday, 9 December 2011 at 13:03



सीमा शब्द ..रणभूमि से तात्पर्य है कठिन शब्द है , बलिदान से सम्बध्ह है ..लेकिन रणभूमि के साथ
जीवन भी रणभूमि है,,,,शायद,,,,

सीमा के उस पार खिले उस फूल को तुम बस तेते आना,
मन मयूर अब पूछ रहा है क्या बादल की दौड़ वहाँ भी ?
चाँद  वहाँ भी ऐसा ही क्या, आधा पूरा, कभी नदारद,
मन सीमा के बढे दायरे , बोलो तो आ जाऊं मैं भी.

हो सकता है दूर बहुत मैं, तुम रन में मैं भूमि के संग में,
येही चलूँ कुछ दूर तलक मैं, रंग जाती ये भूमि रक्त में ,
तुम रक्तों को कम ही बहाना, कोशिश करना,जीत के आना ,
सीमा के उस पार खिले  उस फूल को तुम बस लेते आना,



कभी कभी अग्नि जलती है,कभी कभी हैं बर्फ की बूँदें,
तुम कैसे सह लेते हो सब, मैं परिलछित इन सब से हूँ,
सब कुछ भान मुझे होता है, आस तुम्हारी सह लेती हूँ,
इन्तजार के पल सीमा से, एक एक पल मैं गिन लेती हूँ.

हथियारों की बात ना करना, ये समाज के पहरे जैसे,
इस तृष्णा को बढ़ने देना, अविरल बहते आंसू जैसे,
जीत हार ये शब्द ना लिखना, बस ह्रदय में मुझको रखना,
सीमा के उस पार खिले उस फूल को तुम बस लेते आना



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