by Suman Mishra on Thursday, 15 December 2011 at 14:27
खुशियों की बरसात जब हो, हाथों में फुहार समेटना,
फूलों को धरती से उठा , हाथों में खुशबू भर लेना,
मूंगफली के दानो को अपनी स्वेटर के जेबों में भरना
गर्म गर्म कम्बल में दुबककर, ठंडी सी रातों में सिहरना
अब तो वारदात से पन्ने भरे हुए हैं सब काफ़िर हो,
इनकी जगह भरें खुशियों से,मुस्कानों से सब गाफिल हो,
एक बार हो काश ये ऐसा, दुनिया की हर शय हंसती हो,
सबकी हंसी गूजे नभ मंडल, प्रभा कुसुम सपने बुनती हो.
पंख हों भीगे ,उड़ना मुश्किल, बर्फ झरे झर-झर करके,
उन्हें उठा कर रखना उनके गर्म घोंसले भाप के जैसे,
कैसा होगा ये जीवन भी, एक एक पग कठिन परीछा,
दुनिया की नज़रें बस भांपे, इनकी रक्तिम सी सुन्दरता,
हर कोना जीवन का सुंदर, कहीं कमी हो उसको भर दो,
खोज खोज कर दुखी जनों को, खुशियों की सौगाते दे दो,
कदम एक गर बढे अगर तो सह-यात्री बन दे दो रस्ता,
चलो करें प्रण बदलें दख को वारदात खुशियों का बस्ता.
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