पैबंद कपड़ों पर या शब्दों पर
बड़ा ही कठिन शब्द जिससे दूर ही रहना
वरना ये जिन्दगी में बढ़ते ही जायेंगे
एक बार गर लगा तो फिर आसान नहीं है
अरमानो के हैं खून ,कोई अरमान नहीं है
ये तो दिखा ही देगा की हम किस जगह खड़े
पैबंद लगा लिया, कोई एहसान नहीं है
कल सड़क पर बिखरा हुआ एक घोंसला देखा
तिनकों से था भरा , मगर पंखों से था सिला
खुद के ही तन से निकला हुआ टुकडा लगाया
इंसान की बाबत , ये पैबंद से नुमाया
कुछ भी हो मगर इससे शर्मसार नहीं है
बिखरा है ये हवा से, पर अधिकार अब भी है
माना की वो गया है बहुत दूर अब मुझसे
लौटेगा या नहीं बस इन्तजार हो गया
मेरी निगाह में मेरी तासीर कुछ ऐसी
ये जिंदगी परिंदा मन रुखसार हो गया
कुछ रिश्तों में पैबंद लगा कर ही रोक लो
वो गया और आया एक ब्यापार हो गया
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