स्वप्न को आवाज मत दो टूट कर कैंसे सुनेगा,,,,
स्वप्न डराता है , स्वप्न हंसाता है , स्वप्न में इंसान नयी दुनिया बसाता है..लोग कहते हैं स्वप्न कभी सच्चे नहीं होते,,,मगर
उससे क्या स्वप्न देखने का मूल्य तो नहीं होता बे-खौफ इंसान कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है,,,,,मगर कुछ अछे स्वप्न जिनकी पुनरावृत्ति
चाहता है इंसान ..फिल्मों की तरह मगर वो वापस नहीं आते,,,,क्यों पुकार भी नहीं सुनते क्या उन्हें सुनायी नहीं देता,,,,,,,
स्वप्न को आवाज मत दो, टूटा है कैसे सुनेगा
आँख में किरचें हैं इसकी , चुभ गया निकलेगा कैसे
इसलिए तो मन हमेशा टूट कर जुड़ना ही चाहे
रूठने वाले अलग वो दूर जाकर मुड़ना चाहे
कल जो देखा स्वप्न मैंने दूर तक बस पानी पानी
मैं भंवर में नाव सी थी लहरों की हर पल रवानी
एक पल जीवन बचा था , डूबना एहसास सा था
येही तो है सत्य जीवन , आज ,कल क्या एक कहानी
कहते हैं ये स्वप्न ही है , टूट कर ये फिर ना जुड़ता
कितनी भी आवाज दे लो, चल दिया तो फिर ना सुनता
आँखें खुल जाती हैं इसमें , एक कथा जीवंत सी बस
खुद के अन्दर एक दुनिया, घटित होकर भ्रम रहा बस
सच हुए तो और देखें , सच ही करना मन में ठानी
ना हुए तो तोड़ ना मत आस अपनी जिंदगानी
कितने अरमानो को हमने ताख पर रखा सजा के
स्वप्न में आतें हैं मिलने , कुछ नए कुछ हैं ज़ुबानी
दिन कठिन था , रातें निर्मम , सुबह का है फिर तकाजा
आज का दिन भूख आधी , पूरी करना कल का वादा
भ्रमण मन का चल रहा है, स्वप्न में थाली सजी है
कैसे उतरेगा निवाला, अपनों की नजरें जमी है
बंद आँखों की ये बातें , रक्त के आंसू है बहते
गाद तन पर रक्त से हैं , सुबह धोकर साफ़ होते
कुछ नहीं एहसास ही है, कर्म का अनुप्रास ही है
येही तो संग संग चलेगा, कदमो में शक्ति भरेगा
पांखी बनकर ये उड़ेगा, स्वप्न की धरती बुनेगा
मेरे एहसासों की जाली ,सत्य को इनमे सिलेगा
फिर ना कहना झूठ है ये, जो था देखा वही पाया
मन की आशा सोच में थी बंद आँखों ने सजाया
="6" />
No comments:
Post a Comment