Wednesday, 9 November 2011

उस पार से इस पार तक तुम ....लौट आओ अब ,,,(पुकार)


उस पार से इस पार तक तुम ....लौट आओ अब ,,,(पुकार)

by Suman Mishra on Wednesday, 09 November 2011 at 00:32

एक नज़र जो मुझपर ठहरी , दिल और वजूद तुम्हारा हो गया,
फूल सूख कर उडे पंख से, मन रंगों के साथ ठहर गया,
गए तो तुम परदेश ही कहकर , इंतजार जन्मों में बदल गया,
हम हैं तुम्हारे कहा था  तुमने, अब परदेशी बात मुकर गया.

बही हवा पुरवैया सी थी, महक गयी चन्दन की डाली,
मन भुजंग सा लिपट रहा है, यादों की बदली मतवाली,
बरस गयी है मेरे आँगन , महक में मिटटी बने सवाली,
क्या परदेस में सब भूले हो, याद नहीं अंखियों की आली ?
पार करो मन के भंवरों को, बीच समंदर घूम रहे हो,
इधर दिया भी नहीं जला है , वहाँ पे सूरज माप रहे हो,
नैनन में जल भरे भरे से, बूँद ठहर कर बाट जोहते,
दिल की बात अब करू में किससे, लहर पे नौका राह रोकते,
बहुत हुआ परदेश तुम्हारा, लौट के आओ पार यहाँ पर,
एक एक पल सब नाम तुम्हारे, मन है बसा उस पार वहाँ पर,
कौन दिलासा ,किसकी आशा , रुकता नहीं अब पंछी है ये,
पर मन का पिंजरा है यहाँ पर, फर्ज की बेडी बंधी पाँव पर.

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