Wednesday, 30 November 2011

वक्त को कहने दो अपनी बातें, हम ने कहा था बोले वो,,,

 

by Suman Mishra on Wednesday, 30 November 2011 at 00:29

हमने जो तामील किया था, वही वक्त तो बोलेगा,
कहने दो जो वो कहता है, ये खुद से खुद को तोलेगा
कभी गर्द उडती राहों पर, कदमो से जो बने निशाँ,
कभी वक्त की आंधी लेकर उड़ जाती छोटा सा जहां

अभी वक्त है हुक्म है उसका ,हम अपनी कुछ बात कहें
कहना क्या ,करना है सबको, दुश्मन को हम मात करें,
हो सकता है मित्र बना वो, साथ मैं अपने चलता हो,
वक्त का ऐनक ज़रा लगा लो चेहरा साफ़ तो दिखता है,

शक्ल सही  पर मन काला हो, वो शत्रु का प्यादा हो,
इंसानों की भीड़ में छुपता, खुद से एक तकादा हो,
ये जीवन के मूल्य को कुछ नोटों में तोल के चलते हैं,
वक्त की आँखें इनपर भी हैं ये सब भूल के छलते हैं.

क्या छोटे बच्चों की चीखें , अखबारों से आती हैं,?
नेता के दो संवेदित शब्दों से चीख रुक जाती है,?
क्या जीवन इतना सस्ता है, माँ के ह्रदय से पूछो तुम,
अब खुद ही आगे बढ़कर इस बुरे वक्त को रोको तुम.
                      *****

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