तेवर
by Suman Mishra on Thursday,TEVAR 17 November 2011 at 00:17
इन तेवरों पे नज़र है मेरी जाने कबसे,
बडे रंगीन हैं ये रंग बदलते रहते हैं,
कभी सावन की घटा, बरस कर बहार करे,
कभी मोती की तरह बूँद छलक जाती है,
हम तो हैरान हैं इन तेवरों की रंजिश पर,
खुद का ही घर और बना है बेगाना सा,
चढी है त्योरियां बस वेवजह सी बातों पर,
खडे हाँ पैर पर ,और चलते आसमानों पर
हम तो हैरान हैं इन तेवरों की बंदिश पर,
नहीं जाना है घर से बाहर ये ताकीद हुयी,
जहा हम कल थे भागते पीछे जुगनूँ के,
आज ये रोशनी का साथ, हुक्म की तामील हुयी,
हम तो हैरान हैं इन तेवरों के दर्पण से,
ज़रा सी शकल बिगाड़ी समां ही बदल गया,
अब तो चेहरे पे मुखौटा चढ़ा के लोग यहाँ
घर से अपने निकल के लोगों से यूँ ही मिलते हैं
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