Saturday, 13 August 2011

क्या है ये, कौन है ये.






बड़ा ही विचित्र संयोग है,ये योग है या वियोग है,
इनका ही नाम प्रयोग है, चेहरा है या कुछ और है,
कुछ और देश के प्रमुख भी, ये सोचते हैं ध्यान से,
इनसे विमुख हो जाएँ तो , क्या देश का अनुमान ये,
खुद पे कभी सोचा नहीं, खुद स्वच्छ जीवन के धनी,
फिर भी ये खुद अज्ञात हैं, ना नारी ना पुरुष बनी,
अब देश भी मोहताज है, इनके भरोसे है पडा,
खुद पर ही इनको नाज है, गुरु गोविन्द का पहने कडा,
सरदार बलिष्ठ हो देश का, फिर देश के कहने ही क्या,
हमको तो बस आभास है, सरदार है इस देश का
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