Tuesday, 2 August 2011

रेखा **** LINES

आडी, तिरछी, सीधी रेखा, लम्बी छोटी पतली रेखा,
इन रेखाओं मैं पलता जीवन , इनको की पकड़ चलता जीवन,
सब सीधी रेखा पर पग हैं, जब मोड़ आया तब विचलित है,
इन रेखाओं की विद्या का, हर ज्योतिष भविष्य है बांच रहा,
सूरज है कर्क में या सीधे ,उत्तर दछिन मैं झाँक रहा ,

रेखाओं का क्या ये कुछ भी कहें, कॉपी की लाइन ही तो है,
उस पर जाने क्या खींच खींच, हमने है उकेरा एक सत्य,
कुछ यादों की फुलवारी है, कुछ अमराई की बगिया सी,
इनको ही देख हम उड़ते हैं पछी बन कर तरुनाई में,

इन रेखाओं से पढते हैं जीवन की गति की उछल फांद,
कभी ऊपर हो कभी नीचे हो, कभी समतल कह देती है बाय ,
अब सरल पंक्ति या लाइन ही कह कर देखो या कहो छंद,
सब रेखाए बन जाती है, दिग -दिगंत तक कवि का ही द्वन्द 

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