नारी पुरुष का भेद बहुत है, ना आना इस देश मैं लाडो,
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजे,
बंधन ही जकड़े रहता है,रीति रिवाजों की भरपाई,
सब नारी का कर्म निहित है,जीवन पथ पर बड़ा कठिन है,
क्या करना है आगे बढ़कर,अब तो नारी खुद ही बढ़ती,
जीवन को खुद ही संवारती,फिर भी बंधन बहुत यहाँ हैं,
आजादी किस बात की बोलो ?पुत्र प्रेम भी बहुत प्रबल है,
सब कुछ उसपर ही न्योछावर,सारे बंधन आप्लावित हैं,
नारी अबला येही कहावत.सारी रूढ़िया,दकियानूसी,
नारी ही नारी की दुश्मन,फिर समाज का साथ क्यों मागे ,खुद का ही परिवार है दुश्मन,
"कहाँ आजादी मुझको बोलो, बंधन कहाँ खुला है बोलो "
हंसी आ रही आज मुझे फिर, किन किन बातों को रखूँ मैं,
अर्थ समझ आता आजादी, पर कैसे ये सच मानूं मैं ?
दृश्य नहीं ये गावों का ही , शहरों का कोना कोना भी,
जल बिन मछली तरस रहा है, गंगा, यमुना जहां सरस्वती,
अर्थ समझ आता आजादी, पर कैसे ये सच मानूं मैं ?
दृश्य नहीं ये गावों का ही , शहरों का कोना कोना भी,
जल बिन मछली तरस रहा है, गंगा, यमुना जहां सरस्वती,
सूखा सा मानव का जमीर है,कोई तराजू नहीं जो तौले,
नेहरु, गांधी नाम बडे हैं,हम आजाद अभी ना समझे,
नेहरु, गांधी नाम बडे हैं,हम आजाद अभी ना समझे,
सभी सियासत हम पर करते, हालातो के मारे ठेले,
बस्ती,नगर ,शहर सब घूमे,वोट के मंगते हैं ये संपेले,
इनकी जान है इनको प्यारी,भरे कमांडो आगे,पीछे,
पग पग इनका लाल कारपेट, ऊंची बातें,ऊंची सोचें,
काम इन का ना धेले का हो, पहले अपनी जेबें भरलें,
नाम काम सब मिटटी इनका, सच्चाई से मुंह ये फेरें.
पग पग इनका लाल कारपेट, ऊंची बातें,ऊंची सोचें,
काम इन का ना धेले का हो, पहले अपनी जेबें भरलें,
नाम काम सब मिटटी इनका, सच्चाई से मुंह ये फेरें.
इन काँटों से जकडे हैं हम, हमने आजादी है पायी,
ताशकंद मैं शाश्त्री जी की मौत न दुनिया जानने पायी,
अब सुभाष का नाम पडा अज्ञात संत ये जान लो भाई,
जाने कितनी जानें लेंगे ,सत्ता के लोभी सौदाई,
ताशकंद मैं शाश्त्री जी की मौत न दुनिया जानने पायी,
अब सुभाष का नाम पडा अज्ञात संत ये जान लो भाई,
जाने कितनी जानें लेंगे ,सत्ता के लोभी सौदाई,
देश का नक्शा प्रश्न चिन्ह और कहाँ तिरंगा फेहराये हम,
हर हिन्दू अब हिन्दुस्तानी पूछ रहा ओ ! नेता बोलो ?
क्यों ये रूप बनाया इसका, जिसको क्रांति वीर ने पोषा,
खुद को फांसी, हमको आजादी ,फिर क्यों नक्शा हुआ पराया,
हर हिन्दू अब हिन्दुस्तानी पूछ रहा ओ ! नेता बोलो ?
क्यों ये रूप बनाया इसका, जिसको क्रांति वीर ने पोषा,
खुद को फांसी, हमको आजादी ,फिर क्यों नक्शा हुआ पराया,
हिन्दुस्तान हमारा है ये आजादी का हक हमारा है,
सत्ता का मद भूल के देखो, इसे संवारो देश तुम्हारा,
कुछ चित्रों से देश ना बनता, देश है बनता मुस्कानों से
सत्ता का मद भूल के देखो, इसे संवारो देश तुम्हारा,
कुछ चित्रों से देश ना बनता, देश है बनता मुस्कानों से
माँ की ममता,प्यार पिता का और उन्नत संतानों से, आजादी और भाषण कोरे, कुछ पंछी और आजादी क्या?
आज नहीं ये आजादी है,ये तो बस कोरी सी पाती.
आज नहीं ये आजादी है,ये तो बस कोरी सी पाती.
अंत मैं बस इतना ही, अधिकार हमारा अपना है,
हक है हमको सब जानने का,मताधिकार हमारा अपना है,
हम सब आवाज उठाएंगे ,नेता के सुर क्यों गायें हम,
हम बेजुबान ना बने कभी, सुर एक हमारे जतला दें,
ये देश ना देंगे हम उसको,जो सत्ता से खिलवाड़ करे,
हम देश धर्म की बात करें, वो कोकटेल से प्यार करे,
हम दाल भात को तरस रहे,वो बर्गर,पिज्जा भोग करे,
आंटा,चावल,पेट्रोल रेट,सब टैक्स भरे,वो जेब भरे,
जनसंख्या है तो वोट बढ़ा, पर पेट की कीमत जीरो है
हक है हमको सब जानने का,मताधिकार हमारा अपना है,
हम सब आवाज उठाएंगे ,नेता के सुर क्यों गायें हम,
हम बेजुबान ना बने कभी, सुर एक हमारे जतला दें,
ये देश ना देंगे हम उसको,जो सत्ता से खिलवाड़ करे,
हम देश धर्म की बात करें, वो कोकटेल से प्यार करे,
हम दाल भात को तरस रहे,वो बर्गर,पिज्जा भोग करे,
आंटा,चावल,पेट्रोल रेट,सब टैक्स भरे,वो जेब भरे,
जनसंख्या है तो वोट बढ़ा, पर पेट की कीमत जीरो है
ये देश लूटकर साहू बने, हम आजादी के गीत गाये.
जय हिंद,
जय हिंद,
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