ना वो अलग ना मैं विलग
यमुना कै नीर हरा, श्याम रंग भया हरा,
डुबकी लागाय जब राधे के नियरे गए,
डूबत उतरात छवि श्याम की जो देख राधा,
अंखियन के द्वार श्याम राधे के नैन बस्यो,
देखत हूँ रूप जदी, कौन नाम ,कौन श्याम,
बांसुरी है अधरन पे ,श्याम ने पहेचान लियो,
बाकी तो रूप एक राधे और श्याम एक,
नाही अलग नाहीं विलग,एकै है जान लियो,
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