Monday, 22 August 2011

कृष्ण जनम

जनम भयो श्री कृष्ण को आज , बजावत आपन बांस बांसुरी,
टेर दियो सुर मध्यम से, तान और ताल पगन थापन की,
काहे ना आवत रोज रोज जब सब ब्याकुल गति हाय धरा की,
हम तो रोज पुकार रहे हैं, लेत न सुधि जन मन के हिया की.

...
देखत बात सभै दृग थक गया , तलफत मीन है जान जिया की,
विरह को प्रेम है कृष्ण जनम को, छोटन बड़कन और धिया की,
प्रभु तुम कान्हा और कन्हैया, नाम पुकारत जागत रतिया,
आय के देखो दशा दीनन की, सबै सुनावत हाल विधा की.

बाजत ढोल मजीरा आवत आज है कान्हा जाना भयो है,
दिन भर को उपवास कियो तब म्हारो जनम अब सफल भयो है,
कौनो विधा अब शरण मैं लै लेयो, देखत नैना तृप्त भयो है,
बाजत नाद बांसुरी नादित, दीप की लौ अब तेज भयो है,

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