उसकी बातों का वो जादू
by Suman Mishra on Tuesday, 7 August 2012 at 23:59 ·
जादू के खेल और मन विस्मित सा
ये वो कैसे पल भर में
पलक झपकते अदला बदली
कुछ का कुछ बस पल भर में
पर उसकी बातों का जादू
मन को क्यों भरमाता है
एक ही पल मन बुझा बुझा सा
खुशियों से भर जाता है
कुछ मंथन सी कुछ चिन्तन सी
कुछ जग की कुछ मन की सी
बस उसको सुनकर हंस देना
नहीं समझ परिवर्तन की
कभी कभी मन अलग थलग सा
भंवरों में उलझा उलझा ,
उसकी बातें भेद रही हैं
कहीं कहीं कुछ सुलझा सा
जादू की चाशनी में डूबी
कुछ तिलस्म तो होगा ही
छन से टूटे सपनो के
अम्बर पे तारों जैसा
मुट्ठी भर कर पुष्प समेटूं
फिर खुशबू का सिरा पकड़
बांधू मैं शब्दों की माला
उस "अपने " अपनेपन को
No comments:
Post a Comment