उस अनंत विन्दु की पहचान दो कहाँ है वो
by Suman Mishra on Wednesday, 5 September 2012 at 00:42 ·
बहुत सुना उस युग गायक को
जिसके स्वर से मेघ थे बरसे
बहुत सुना उन रागों को भी
इश्वर भी रो पडा था दुःख से
कहाँ आज वो स्वर ऐसा
जो धरती का सीना सिल दे
कहाँ आज वो शब्द मंजिरी
विरानो में पुष्प बिखेरे
उस अनंत विन्दु का परिचय
हमें बता दो हम खोजेंगे
वही रूप उस युग का लायें
जिसके रत्न नहीं मिलते हैं
वेद कौन सा पढ़कर जो
बन जाता है त्रिभुवन दाता सा
किस श्लोक से सांस है मिलती
लौट आता जो छोड़ के जाता
किस ग्यानी का कहा मैं मानू
जो बतला दे कल क्या होगा
या वो समय रोक कर पूछे
समय आज तक क्यों ना बदला
वो अनंत की सूई कैसी
टिकी कहाँ पे किस मसले पे
कब ये धरती स्थिर होगी
सूर्य की किरने भटकेंगी फिर
प्रश्नों का है एक पुलिंदा
मन मथता है मन को हर दिन
सुदिन कौन सा पल निश्चित है
किसकी बातें लगती दुर्दिन
वो जो प्रश्नों की बौछारें
करता था हर दिन हर पल छिन
मुस्कानों के पीछे छिपकर
दे देता हर उत्तर हर दिन
आज पुष्प है रखा मैंने
ना कुम्हलाये तब ये कहना
स्याही सूख रही है अब तो
शब्द अनंत विन्दु है लिखना ,,,,,
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