चलो बे-खयाली में ही सही उसका ख्याल करें
by Suman Mishra on Monday, 10 September 2012 at 00:49 ·
चलो बे-खयाली में ही सही ,
उनका ख्याल करें
आज शायद सूरज देर से निकले
खुद ही समय से आगाज करें
इन्तजार ही तो है ये जिन्दगी
पलों को बुहार कर आगे बढ़ा दें
अब ये चादरें जो बिछी ही नहीं
आज मन के आँगन में करीने से डाल दें
ख्यालों की हिलोरें कहीं शांत हो गयी
उन्हें किसी वजूद का मैं नाम जरा दूं
जामा सिला दूं उन्हें पहनाकर नया नया
उस दोस्ती को मैं दोस्तों में शुमार करू
चलचित्र की तरह यादों का वो कुनबा
निकला हुआ है आज अपने रास्ते पे जो
कुछ याद आ गया जो आज कल में था गुजरा
उसको भी मैं इस कारवां में उतार दूं
कहते है समय भरता रहता है हर जख्म
पर उसकी भी डिग्री इलाज . ला-इलाज है
उस समय से ही पूछ लेंगे सांस कितनी है
अब हर समय मुझे सेहत का ख़याल है
एक दौर था की वो मेरे रु-बरू से थे
एक दौर है ये आज ख्यालों की बात है
कब जेहन मेरा रूठ कर ये कहेगा
अब मैं नहीं इसे ख्यालों से निकाल दो
इस याद की गठरी को कितना बढाओगे
कोई किराए का घर वही रख के आओगे
अब याद आगया वो आज बे-ख्याली में
अपना ही घर बड़ा है उसे लेके आओगे,,,,,?????
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