गीत बरस जायेंगे उस दिन . जिस दिन अम्बर मेघ से खाली ..(कुछ अलग अलग रंग )
by Suman Mishra on Sunday, 19 August 2012 at 23:31 ·
कहते हैं शब्दों में क्या दम,
बस बतकही को बाँध लो इसमें
विषयों में अनुराग दिखा तो ,
प्रेम से नफरत कहाँ हुयी कम
सूख सूख कर परती धरती
मगर नयन में जल फिर कैसा
शब्दों से मल्हार जुड़ा तो
बिन मेघो के पानी बरसा
दृश्य अचंभित कर देता है
मन को दम्भित कर देता है
ये क्या ये तो कुछ भी नहीं था
मैं गर हूँ मन "स्वर देता है"
ज़रा निकल बाहर की धुप में
सीमा के प्रहरी सा बन तू
रग रग में हो रक्त की जुम्बिश
दुश्मन रण में नहीं दिखेगा
मोर पंख जब फैले वन में
मन मयूर सा नृत्य हो मन में
एक एक पत्ते की सर सर
शब्द समीर यूँ बहे कलम से
कहाँ आम के बौर लगे हैं
कहाँ पे कोयल कूक रही है
मैं पकडूं शब्दों में इनको
नहीं तूलिका अब भाती है
No comments:
Post a Comment