Friday, 29 July 2011

"अंगूठी"


 

प्यार की निशानी या प्रेम का हो बंधन
दायरा जरूरी है ये दायरे की बात है,
छोटी सी है प्यारी सी है, हीरे की या पीतल की,
भावना जुडी है इससे ,ह्रदय सी आकार मैं,
सोने और चांदी का ना मोल भाव इससे जुडा
किसीने दिया हो तो सोच लेना प्यार दिया,

ये भी एक बंधन है प्यार के धरोहर सी,
जाने कितने रूप इसके ,जाने कितना दाम है,
हाथ एक वरदान इश्वर का वरद हस्त,
हाथ की अँगुलियों का बढाती ये मान है,

मोल प्रेम का नहीं कुछ, इसका जो भी लगा लो,
प्रेम से पहनाया उसने, येही तो सम्मान हैं,
दिल को है बांध लिया, उसको पता है ज़रा,
चांदी नहीं सोना नहीं , हीरे का अरमान है,
लेकिन फिर वही "का करू सजनी आये ना बालम (धन)

 

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