Sunday 31 July 2011

सांवरो कान्हा


काहे सांवरो तू कारो, कैया राधे मतवारी,
सारी सुध बुध थारे पाछे है भुलाय गयी,
गोपियन की कतार बाँध के जलाय रहयो,
कैसी सुकुमारी कलि देखो कुम्हलाय गयी,

ठाकुर बनेगो कैसे , ठकुराई कौन जाने,
झूठ मूठ नाम थारो, जग मैं थिराय गयी,
देखत है राह राधे, राह थारी लम्बी भाई,
राह को जो राही सब राह तो गुमाय गयी,

मति भ्रम म्हारो भयो, राधे तो है भूली गयी ,
दुनिया की मति मैं तो तुम्हीं समाय गयो ,
राधे,मीरा बावरी है, जाने कित्ते द्वार खडे,
सांवरो और कारो रंग, सर्वस्व बिसराय दियो.

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