Wednesday 27 July 2011

"नेत्र हीन का संसार/दर्द"

 



"नेत्र हीन का संसार/दर्द"
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बहुत रंगीन है संसार , बहुत से रंग हैं,
हम भी तो रोज रंग मैं रंग के आते हैं,
एक पानी ही है जो रंग का मोहताज नहीं,
वरना सब रंग से ही नाम जाने जाते हैं,

कोई गोरा, कोई काला, को मटमैला सा,
यहाँ तो दिल भी है काला सूना है ऐसा भी,
मगर रंगों की कहानी कहाँ तक सच्ची है,
कुछ-एक रंग से अनजान जाने जाते हैं.

बस एक आवाज ,हवा,स्पर्श इनका जरिया है,
प्यार के शब्द मिले जिन्दगी नज़रिया है,
वरना रस्ता जहां का एक जैसा है इनका,
ये तो गतिमान हैं पर रंग जमा है इनका,

बहुत ही दर्द है जो आँख के रास्ते जाता,
रास्ता है या नदी वही इन्हें बतलाता,
दर्द को पी के कुछ ऊर्जा मिली तो चलते हैं.
येही अंदाजे बयाँ जिन्दगी का करते हैं.
   

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