मैं अब भी तुम्हारे साथ हूँ एहसास की तरह,
तुम हो करीब मेरे मेरी आस की तरह,
रातों की कालिमा मैं ज्यों उजास की तरह,
गुमशुदा हूँ भीड़ मैं सबसे बिछड़ चुका,
उसमें भी नहीं भूला तुम्हें ख़ास की तरह,
...
दिन रात कुछ नहीं, ये तो सदियों की बात है,
मिलते हैं हम मगर कभी मिल नहीं पाते,
जीवन सफ़र तो यूँ ही ख़तम हो ही जाएगा
बस शेष हो मुझमें जो तुम आभास की तरह,
अब ये ही है नियति अगर तो नियति ही सही,
इनसे ही पूछ लेंगे क्या नियति है मिलन की,
मैने कभी कोशिश ही नहीं की ये सफल हो,
तुमसे ही पूछता हूँ,मैं एक दास की तरह,
इन धडकनों की जब दस्तक सुनाये दे,
खुशबू सी हवा बहके जब कुछ कान मैं कहे,
हाथों से करना कोशिशें छूने की फूलों को,
उड़ता हुआ मिलूंगा मैं कपास की तरह.
बस इंतज़ार है ,नहीं लगता है अधूरा,
इस पर ही चल रहा है चक्र हुआ जो पूरा,
हम भी इसी के दायरे मैं जीते रहेंगे,
जीवन जियेंगे मरू मैं प्यास की तरह,
तुम हो करीब मेरे मेरी आस की तरह,
रातों की कालिमा मैं ज्यों उजास की तरह,
गुमशुदा हूँ भीड़ मैं सबसे बिछड़ चुका,
उसमें भी नहीं भूला तुम्हें ख़ास की तरह,
...
दिन रात कुछ नहीं, ये तो सदियों की बात है,
मिलते हैं हम मगर कभी मिल नहीं पाते,
जीवन सफ़र तो यूँ ही ख़तम हो ही जाएगा
बस शेष हो मुझमें जो तुम आभास की तरह,
अब ये ही है नियति अगर तो नियति ही सही,
इनसे ही पूछ लेंगे क्या नियति है मिलन की,
मैने कभी कोशिश ही नहीं की ये सफल हो,
तुमसे ही पूछता हूँ,मैं एक दास की तरह,
इन धडकनों की जब दस्तक सुनाये दे,
खुशबू सी हवा बहके जब कुछ कान मैं कहे,
हाथों से करना कोशिशें छूने की फूलों को,
उड़ता हुआ मिलूंगा मैं कपास की तरह.
बस इंतज़ार है ,नहीं लगता है अधूरा,
इस पर ही चल रहा है चक्र हुआ जो पूरा,
हम भी इसी के दायरे मैं जीते रहेंगे,
जीवन जियेंगे मरू मैं प्यास की तरह,
गजब बिलकुल सही सत्य निरंतरता का प्रतीक ---एक शाश्वत सत्य जो काव्य रूप में सामने लाने का प्रयास ---सुमन सफल व्यंजना के लिए मुबारक ----..
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