काश अपुन भी होता इस नोट के ऊपर छपा हुआ,
रविवार के दिन ही चलता, मेरी फोटो का नोट ये,
अपुन छापता दिन भर इसको, रात को शौपिंग करता,
हर शौपिंग काम्प्लेक्स मैं बस अपना ही जलवा रहता,
नोटों की थैली लेकर हम जब भी बाहर जाते,
हाथ बांधकर खडे सभी हो, जोर सलामी देते,
मेरे नोटों से ये शहर का कारोबार सब चलता,
सन्डे का दिन नाम हो अपना, अपुन कर चर्चा चलता,
नोट वोट सब मैल हाथ का, हम भी तुम भी जाली ,
सब उपवन है सजा इसीसे, हम सब इसके माली,
भरी तिजोरी सेठ वही है, इनसे सी है सब बीमारी,
जय जय बोलो नोट छपे जब, बाकी सब रेजगारी.
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