ज़रा पाने की चाहत मैं बहुत कुछ छूट जाता है,
मुझे सब याद रहता है, उसे सब भूल जाता है,
उसकी की लिखी चाहत मैं फिराई जब कभी यादें,
उभर आया था वो चेहरा, खुदा भी भूल जाता है,
कभी यादें, कभी सपने, कभी वो सामने रहता,
मुझे कहना है क्या उससे गिला सब भूल, जाता है,
जमाने के सितम अब तो, रखे हैं सर और आँखों पर,
ज़माना आगे आगे है, वो हमदम भूल जाता है,
चलो कुछ और भी तक़रीर,बनाएं अपनी तकदीरें,
भले दामन किसी का हो, ये जीवन भूल जाता है,
कभी कुछ तो कहो ऐसे की हमको याद कुछ भी है,
मगर ऐसी ही रुसवाई ,मैं क्या हूँ सब भुलाता है.,
ना याद आओ, ना याद करना, हवाओं की बता देना,
ज़माना करवटें ना ले, ये रिश्ता क्या निभाता है,
मिलेगे फिर कभी जब भी कोई दुश्वारी ना आये,
रहा सब याद उसका मुझमें क्या है भूल जाता है.
मुझे सब याद रहता है, उसे सब भूल जाता है,
उसकी की लिखी चाहत मैं फिराई जब कभी यादें,
उभर आया था वो चेहरा, खुदा भी भूल जाता है,
कभी यादें, कभी सपने, कभी वो सामने रहता,
मुझे कहना है क्या उससे गिला सब भूल, जाता है,
जमाने के सितम अब तो, रखे हैं सर और आँखों पर,
ज़माना आगे आगे है, वो हमदम भूल जाता है,
चलो कुछ और भी तक़रीर,बनाएं अपनी तकदीरें,
भले दामन किसी का हो, ये जीवन भूल जाता है,
कभी कुछ तो कहो ऐसे की हमको याद कुछ भी है,
मगर ऐसी ही रुसवाई ,मैं क्या हूँ सब भुलाता है.,
ना याद आओ, ना याद करना, हवाओं की बता देना,
ज़माना करवटें ना ले, ये रिश्ता क्या निभाता है,
मिलेगे फिर कभी जब भी कोई दुश्वारी ना आये,
रहा सब याद उसका मुझमें क्या है भूल जाता है.
nice poem
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