अनोखी सी शिद्दत अनोखा सा मंजर,
ये दिल है धड़कता बिना बात ही क्यों
नहीं हमको मालूम ये शग्ले तब्बसुम,
बिना बात ऐसे महकता है क्यों ये,
कहीं गुल अमलतास के हैं बगीचे,
कहीं कोई महकती कली खिल गयी है,
कहीं कोई गुजरा किसी जंगलों से,
हवा बह के आयी मेरे पास ही क्यों ,
महकते हैं हम जाने किस बयार से ,
कहाँ से वो आती जाने किस दयार से.
एक पल को लगा हम कहीं खो गए हैं,
अभी ही तो रुखसत हुए उस बहार से हम,
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