Wednesday 27 July 2011

श्याम मैं तिहारी भई मोको दूजी नाहीं आस,


 
 
थारी सुध मैं तो सारी दुनिया भुलाय गयी,
आओ मोरे द्वारे कान्हा, चितचोर चोरी करो,
मारे मन की हम गठरी बनाय दई,

...सब कुछ झूठ साचा , कितनो है मन बांचा,
कितनो ह्रदय मैं थारी छवि है समाय गयी,
इत-उत फिरके है दिवस बिताय दीन्ही,
अखियाँ रैन भई , स्वप्न तो सजाय नहीं,,

मीरा भाई बावरी है ,कान्हा रूप मांग लीन्ह्यो ,
राधा श्याम संग राची, बावरी बनाय दीन्ह्यो,
एक बारी मोहन मुरारी मोको मिल जावो कहीं ,
प्रीत के ये रीति सब जग मैं फैलाय दीन्ही.

चालत, उठत ,सोवत एक ही तो बात कहूं,
श्याम सन राधे नाम नियति बनाय लीन्ही
श्याम नहीं मिले मोसे, जनम जन्मान्तर तक,
नाम मैं का राखा, सब श्याम मैं मिलाय दीन्ही.






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