Thursday, 9 February 2012

बड़े सुकून से हम हंस दिए अफ्सानो पर (जयपुर ....विजय लाइन )


बड़े सुकून से हम हंस दिए अफ्सानो पर (जयपुर ....विजय लाइन )

by Suman Mishra on Tuesday, 3 January 2012 at 00:14 ·


बड़े सुकून से हम हंस दिए अफ्सानो पे,
सूना है आंसुओं से सींचा है इस वीराने को,
किसी की ख्वाहिशों के तीर बिंधे थे सीने पर,
हम तो बस घूमने  निकले यहाँ अरमानो से,

बड़ी धुन थी की अपना देश भी आजाद रहे,
गीत खुशियों के सुने पंखों की परवाज रहे,
एक दुनिया वही सोने की चिड़िया कहते  थे,
एक दुनिया येही हम आज बे-ख्याल रहे.

आज हम हर तरफ सुकून की मंजिल में रहे,
नहीं मुमकिन हमें गुलाम की तहरीर मिले,
आज हम बीते जमाने को यादों में रखकर,
गीत पुरजोर कही प्रेम से आबाद रहें,

बड़ी धुन देश की बस अमनो चैन सबमे हो, ,
इन्हीं तोपों की आग अब तो ठंडी लगती है,
कभी गोलों की गर्जना से दहलता दिल था ,
अब तो साए में इनके हंसी खिल महकती है......जय हिंद 

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