नुपुर से ध्वनित मनवा सुनत नाही कोयल को
by Suman Mishra on Thursday, 12 January 2012 at 13:57 ·
नूपुर से ध्वनित मनवा , सुनत नाही कुहू कुहू
बूंदन बौछार से मन भीग भीग काहे जात,
श्याम की दीवानी विह्वल ना रोक राह,
दधि और माखन को चोर मन हरत बात
श्याम रूप मन में रहत, राह की तो ठौर नहीं
पगन की चाल थमी, रास्ता ज्यों रोक लियो
आवत ना चैन वाको, रूप देख नाहे थाको,
प्रीत की मथनिया से माखन सब बनत जात
सखियन की बात और, नियरे है श्याम ग्राम
मोरो पड़ाव दूर, आस दरस श्याम की है,
जागत ना सोवत हूँ , भागत मन आस पास
बातन ही बातन में मनवा भरमाय दियो.
अबकी बरस ई दधि बेचन जाब नाही,
बचपन से काम काम बहुत करवाय लियो,
श्याम को दरस खातिर फिरत हूँ जोगन सी,
बात बहुत बिगड़ गयी, खुद ही समझाय लियो.
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