Wednesday, 8 February 2012

एक पंखुरी ही काफी है ..फूल की खूबसूरती बया के लिए,,,

एक पंखुरी ही काफी है ..फूल की खूबसूरती बया के लिए,,,

by Suman Mishra on Monday, 19 December 2011 at 01:04 ·


हाँ सच ही तो है, एक पंखुरी ही काफी है ,

फूल की खूबसूरती बयान के लिए,
कोई अलहदा सोच भी नहीं सकता,
उसकी खुशबू से तर बतर बस गुमान के लिए,

बस एक खुशबुए मलाल की वो क्यों बिखर गया,
एक फूल ही तो था जो डाली से गिर गया
एक उम्र का लिहाज ,कब तक वो सजेगा,
बस पंखुरी के साथ या वो अलग रहेगा .


एक कली जो बस यूँ खिली और फूल बन गयी,
मुस्कान बन खिली जो सुगंध बन गयी,
पल पल का है हिसाब मगर बेहतरी का है,
वो सूखना भला जो वो गुलकंद बन गयी.

इंसान की भी उम्र जो लम्बी लिखी उसने,
पर प्यार के पल कुछ ही है , कुछ दर्द  लकीरें,
जीता है तिल तिल के , इसी रूप रंग से,
महलों में है बसा कही पे टूटी शेह्तीरें,




रंगों सा दौड़ता लहू, पानी सा बह रहा,
ये फूल बस पानी से ही सब बात कह रहा,
बख्शो इसे डाली पे या तोड़ो कहीं फेंको,
फूलों की बात और है इंसान की सोचो..

फेंका हुआ ,है अधमरा बनता है तमाशा,
जिसने उगाया फूल वही मन है हताशा,
जीवन है चंद रोज कहाँ वो या कहाँ फूल,
एक पंखुरी की नब्ज बता  देगी किसकी भूल.
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