Thursday, 9 February 2012

चलो किसी को तो मुझपर ज़रा ऐतबार नहीं...


चलो किसी को तो मुझपर ज़रा ऐतबार नहीं...

by Suman Mishra on Tuesday, 3 January 2012 at 01:23 ·

चलो किसीको तो मुझपर जरा ऐतबार नहीं,
सामने हाथ मिलाया , पीछे कुछ गुबार नहीं,
उसने देखा मुझे ऐसे अजीब नजरों से,
कहीं रुखसत पे मेरे ज़रा मलाल नहीं.

कहने को लोग जाने क्या क्या नाम देते हैं,
बड़ी शातिर दिमागी लोग भी समझते हैं,
कहीं जन्नत कहीं दोजख की बात करते हैं,
नाम देकर खुद गुमनामी में छुप के रहते हैं,


चलो अछा हुआ की लोगों का मतलब समझूं,
कोई बढ़िया, खराब बात का मजमु समझूं,
अपनी तकदीर बनाना तो बहुत मुश्किल है,
उसके नजरों से आज्खुद का नजरिया समझू,

कौन कहता है लिखी  तकदीरे हाथों में ,
जाने कितनी मिले जो अजनबी से लगते हैं,
हमने ज़रा हाथों को हाथ में देकर उन्हें देखा,
वो तो मेरे कितने जन्मों की बात करते हैं.



मैं हूँ मशहूर आज ऐसा ज़रा सा कुछ तो,
उसकी नजरें जो देखी नाप तौल वाली थी,
म्रेरे दिल को ना देखा भाव का सौदा था हुआ,
मेरे शब्दों की बात मुझको पूरा आंक लिया

एक अछर और ये मेरे जिंदगी का सफ़र
उसका मिलना मेरा जुड़ना एहीं तमाम हुयी
अब तो हमने भी कसम लेके खुद को समझा है,
ये ऐतबार मुझे आज भी मैं इंसान हूँ.

No comments:

Post a Comment