इस उड़ान की मंजिल कहाँ होगी
by Suman Mishra on Saturday, 31 December 2011 at 04:14 ·
उड़ान ही उड़ान हो, हर जगह मकाम हो,
माना की बहुत दूर हूँ, दिल में मेरा मुकाम हों,
कुछ गलतियां होंगी मेरी ,कुछ लोग नहीं चाहते,
पर क्या करू हूँ सोचती, मैं भी तो एक इंसान हूँ.
हूँ रास्ता मैं खोजती, एक राह अपनी भी मिले,
सदियों से इस जहां की मैं, खुद के लिए फरमान हूँ,
चलना है साथ चल पड़ो, रोका है किसने रास्ता,
तुम खुद ही काबिल हो यहाँ, मैं खुद का ही अरमान हूँ...
आप सबको मेरा प्रणाम....अपनत्व को प्रथम रखियेगा,,,,,,
नव वर्ष के अभिनन्दन के साथ,,,,,,,,,,,सुमन ,,,
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