Thursday, 9 February 2012

यकीन करो या ना करो


यकीन करो या ना करो

by Suman Mishra on Tuesday, 10 January 2012 at 01:03 ·

यकीन करो या ना करो...शाख के ही फूल है ये,
नहीं गुरेज कोई भी,,,,लिख दिया जो मन में था
यकीन करो या ना करो

शब्द कोई  गणित नहीं, शब्द तो साँसों से बंधे
हल नहीं निकला करते, जीने से ही पता चले,
चलो मान लिया मैंने , तुमसे ही साझा है
कोशिशों से स्वर्ग यहाँ ,,,यकीन करो या ना करो


एक दुनिया सच की है साफ़ साफ़ देख लेना
भावना की गहराई,खुद में ही संजो लेना
कल्पना के सागर में गोते भी लगा ही लेना
सच में और कल्पना की दुनिया या सच्चाई
यकीन करो या ना करो.,,,,,

एक तैल चित्र और मान चित्र मेल करो,
एक शकल एक रूप भावना की जेल भरो
अंतर क्या रूप अलग थोड़ी सी गहराई
नदी और तडाग नीर ...खुद की ये परछाई
यकीन करो या ना करो,,,,,

No comments:

Post a Comment