Thursday, 9 February 2012

तब रंग हम भरेंगे ....जब तुम आओगे


तब रंग हम भरेंगे ....जब तुम आओगे

by Suman Mishra on Monday, 16 January 2012 at 00:39 ·


चेहरे का आकार नrहीं है , कुछ भी इसमें साकार नहीं है,
बस प्यार ही सुना था, कोई तो  उपकार  नहीं है
ये शब्द रोग जैसा, कोई ब्यापार तो नहीं है?
हम देर से हैं समझे, कोई आभार तो नहीं है.


एक दुनिया बस ही जाती, मिलकर जो साथ चलते,

क़दमों के कुछ निशाँ को , हम राहों में रोक लेते,
आगे का  कारवां जो , हमसे से ही राह पूछे
सब अपनी ही हो बातें , अपना ही बस असर हो.


वैसे तो रंग सारे इस जहां में हैं बिखरे,
क्या चाँद चांदनी से रंगों को सोख लेगा?
हम तब भी रंग भरेंगे , मन तूलिका से अपने
तुमको भी साथ लेकर कुछ दूर तक चलेंगे




कुछ बे-ख्याली ऐसी, कुछ रुतबे रुआबों सा ही

हम खुद से ही कुछ खफा हैं ,खुद को भी जान लेंगे
अब तक नहीं पता है , मैं कौन इस जहां में
तुमसे ही पूछकर खुद पहचान मान लेंगे


रंगों की बात करना, बे-रंग नहीं होना,
चेहरों पे रंग भरना , अरमान से ही सजना
कुछ भाव लाके चेहरे से रंग फना होना,
बस आके मुझको कह दो, हम रंग तब भरेंगे

थोड़े से रंग मिलकर , हम रूप बना लेंगे,
आकार ना सही पर कुछ भाव तो भरेंगे
इनसे ही मन की पीड़ा, बदलेगी खुशी बनकर,
आओगे तब भरेंगे , निश्छल हंसी से मिलकर,
                 *****

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