Thursday, 9 February 2012

अब ये हालात नहीं<<<<< हम तुम्हे पुकारेंगे,,,


अब ये हालात नहीं<<<<< हम तुम्हे पुकारेंगे,,,

by Suman Mishra on Tuesday, 10 January 2012 at 12:39 ·


कितनी आवाज लगाई ...बस अनसुना ही रहा,
कितनी कसमे थी खाई, ..बे-परवाह किया
कितने जज्बों को सामने से होके जाने दिया,
नहीं रोका था आंसुओं को यूँ ही आने दिया

कहाँ हो क्या खबर कुछ हमें अब पता ही नहीं,
सोचा बस जान लूं, ऐसे ही पर मैं खफा हूँ नहीं,
कोई रिश्ता अगर टूटे तो कशिश रहती है,
खामखाँ दिल पैर असर, धुल बड़ी जमती है,

 
बस एक फूल वही सुर्ख सा है याद मुझे,
मेरे बागीचे में उसकी कायनात सी है
नजर तुम्हें नहीं बस किया अपनी यादों को,
जो याद आ गयी भूले से नज़रात की है,.

अब ये हालात नहीं हम तुम्हें पुकारेंगे
माना साँसों के शोर नब्ज थाम लेते हैं,
कहीं ह्वावों की भाषा की समझ नहीं मुझे
बस येही शब्द आखिरी सा .....तुम्हें पुकारा है 

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