Thursday, 9 February 2012

जित देखूं तित श्याम, मेरो के विसात है


जित देखूं तित श्याम, मेरो के विसात है

by Suman Mishra on Wednesday, 18 January 2012 at 18:00 ·

जित देखूं तित श्याम सांवरो,
मन को मात मन भयो बावरो,
आपनी वाकी मूरत देखी,
वाकी छवि बस आपनी लागी 

हाथ धरे मोरे दर्पण सुंदर,
दर्पण को छवि अब म्हारी नहीं,

मन में जी की मूरत छाई ,
दर्पण मन में झाँक रह्यो है,



नाम करोड़ों कित कित  लेऊँ,
वाको नाम तो मोसो जुडगेयो
वेदन ज्ञान शाश्त्र सब बाँचो
वाको जहान अब मेरो होए गयो .



कारो श्याम की छवि न्यारी है


आभा से मैं भाई सांवरी
वा से दूर भई मैं जब से,
म्हारी गोरी छवि भारी है


प्रीत भरे मोरे नैन बावरे
खोजत श्याम की चितवन बांकी
खोज खोज जब ताकन लागू
आवत ओट से नैन लजावत

जी की गति अब सम्भरत नाहीं
जब से ज्ञान भयो है मोको
वो तो जगत को पालन हारो
म्हारे संग अब भयो सांवरो,
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