Friday, 10 February 2012

परत दर परत -मुस्कराहट -दर्द और खुशी कैसे पहचाने हम


परत दर परत -मुस्कराहट -दर्द और खुशी कैसे पहचाने हम

by Suman Mishra on Sunday, 5 February 2012 at 01:59 ·

खूबसूरत होंठ और किसी के आने की आहट
बड़े ही राज छिपे हैं जो आगे जाकर खुलेंगे
कभी कभी धरती और आसमान को एक करते हैं
कभी चमन की खुशबू के मानिंद मिलेंगे.

इनकी अहमियत है की हल्की सी आवाज है,
कहीं सिहरन है बूंदों की, ओस से हमराज है,
जो मिला बस मुस्करा कर देखा और कुछ नहीं
राज तो खुले नहीं, पर पन्नो पे अश आर हैं


जिंदगी को खेल समझ बस खेलते गए
कहीं हँसे जी भर तो कही झेलते गए,
आयी हंसी थी कब अब ये फना हुयी,
सब जज्ब कर लिया है अब जब फेल हो गए

कहने को दुनिया में यूँ क्या नहीं मिलता
फौवारे उछल रहे हैं जज्बा है अखरता
कितनी ही परतों के पीछे ये छुप  गयी हंसी,
हल्की सी पंक्ति है मगर खिल के नहीं मिलती


इतने भुलावे भूल कर  आँखें अभी खुली,
मंजिल पे नजर ठहर गयी नजरें जहां मिली,
हल्की सी आस और ये मन मुस्करा उठा
कितनी ही परतें आंसुओं की सूखता गया .

अब साफ़ है तस्वीर ,ओह खूबसूरत है
कुछ अजब सा गरूर मगर उसका शऊर है
हम कितने भी गम को क़यामत  मान कर चले
वो बैठा है बाजार में खुशियों को बेचने,
               *****

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