Wednesday, 8 February 2012

तलाश जारी है...

तलाश जारी है...

by Suman Mishra on Tuesday, 27 December 2011 at 15:39 ·


हे  ! ये जीवन की तलाश में निकले  हैं हम ,
कहीं तो इसकी कड़ी मिलेगी, पानी में ही कहीं छुपा है,
साँसों की सुगंध घुली है, यहीं कहीं छुप  के बैठा है,
बोल ज़रा ओ ! कर्ता धर्ता हमें बता दो थोड़ा सा ही.


दिल की धड़कन कहीं पे धडकी,सुनकर मन विचलित सा जैसे,
उसके पग की रेखाओं में खोज खोज वो दिशा में बिखरा,
अब तो बस वो राह खोज लूं, जीवन में कुछ मार्ग खोज लूं,
बस वो कड़ी हाथ में आये, मन ही मन सद्मार्ग खोज लूं.



कहीं एक दिल पडा दिखाई, उसमे से आवाज है आयी,
आओ कुछ बातें हम कर ले, जीवन के परिदृश्य को रच ले,
मैंने कहा कहाँ तन तेरा, अलग हुआ का कहाँ बसेरा,
मुझको तुम बतला दो इतना, किस तन के बिछड़ा मन तेरा,

बोला अब इस तन का क्या है, दिल की दुनिया बहुत अलग है,
दिल के बिना ही जीवन चलता, इंसा में ही  ये दिल मिलता,
मैं तो खुश हूँ अलग थलग ही,. मुझको क्या जो अलग हुआ मैं.

अब तो येही सोचकर खुश हूँ, इंसा जैसा नहीं मिला है ,


जब तक बचपन दिल ये निश्छल,
सच्चा दिल था पर अब मन विह्वल ,
ये तलाश जारी है मेरी, कब तक मिले या नहीं मिले अब....

कब तक मिले या नहीं मिले अब................

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