उसकी बांसुरी की धुन....कहीं पे बजती होगी
by Suman Mishra on Monday, 16 January 2012 at 11:35 ·
दूर दूर तक मस्त बावरी पवन झकोरे लेती होगी
यमुना या सरयू की लहरे उसपे ताल कुछ देती होंगी,
खुशबू जैसे खुशगवार सी , पत्तों के सर हिलते होंगे,
पांवों की पायल से राधा भ्रमित जरा सी होती होगी ,
नज़रों के तारों को बींध कर आयी होगी श्याम से मिलने
सीता ने भी फूल चुने कुछ राम की माला ज्यूँ गहने से
इनकी चितवन दरस की प्यासी श्याम राम को ढूढ़ रही है,
युग का जो इतिहास लिखा है, भाव भंगिमा कुछ ऐसी ही.
जन्मों से हैं बंधे ये रिश्ते , मिलते हैं बस अनजाने मे
नारी पुरुष रूप बस दो हैं , मान ही लो बस अफ़साने में
येही तो वो माया है रची बसी बस प्रकृति हमेशा
रचनाकर वही है हरदम , मुरली की बस तान नहीं है
मधुर मधुर सी मुरली की धुन बस आभासों में है बजती,
कहाँ कहाँ पर श्याम सांवरे , दिग -दिगंत आभासित करती,
राम धनुष से सजे हमेशा पर रावन का दंश नहीं अब
अब दीपक जलते हैं घर -घर , ह्रदय दीप प्रज्ज्वलित जहाँ पर.
No comments:
Post a Comment