Sunday, 18 May 2014

क्यों हर वर्ष रावन जल रहा है ??????????????????????????

क्यों हर वर्ष रावन जल रहा है ??????????????????????????

23 October 2012 at 12:10
 

रावण  जलाओ कितना मगर क्या वो जला है
पुतले बनाओ कितना मगर क्या सांचे में ढला है
पल भर का है तकाजा , चिंगारी एक छोटी
हर वर्ष ये तमाशा , क्या सच का सिलसिला है ?

माना की खामिया हैं गिनती नहीं है उनकी
हम धैर्य के हैं पुतले, कुछ बात मेरे मन की 
सीता हरण हुआ था, सीना धरा फटा था
फिर अग्नि की परीछा , हर बार ही करोगे ?



दस दस बने हैं चेहरे , दस रूप एक से हैं
क्या फायदा है इससे , जब ह्रदय एक ही है
हम आज बढ़ रहे हैं, गिन गिन के मर रहे हैं
कितने यहाँ हैं अछे , सब बुरा ही कहोगे ?

जो हुआ सो हुआ था, ग्रंथों ने ये कहा था
किस बात की दुहाई, बस सार ही गहोगे
हर वर्ष फूकना है , हर वर्ष जीतना है ?
सच्चाई पर विजय की कब सीढिया चढोगे ?



हैं महापुरुष इतने , अवतार ले के बैठे
सर अपना भी झुका था ,अधिकार ले के बैठे
हर सुबह भक्ति संगम , बहती यहाँ है गंगा
दिन भर के कारनामे ब्याभिचार ही करोगे ?

क्या सीख मिल रही है ? जगमग सी रोशनी से
जब मन में हो अन्धेरा , रोशनी ज्वलित करोगे
जेबों को करो खाली, मंहगाई की जुगाली
खाते को खाली करके , क्या रकम तुम भरोगे ?



ऐसे चलाओ शर को टंकार से हिले जग
हर ह्रदय कंप होकर, रावण को यूँ निकाले
है कोटि सर जो उसके , सब खंड खंड होकर
इस धरा पे नहीं तो सागर तो मैथ ही डाले

मंथन से जो भी निकले, सब बाँट लेंगे मिलकर
रावण नहीं जलेगा, अब फिर युगों युगों से
बस राम ही यहाँ हो, या कृष्ण का हो खेला
अब अंत नहीं जग का, खुशियों का बस हो मेला,,,,,,,,,काश

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