Monday, 19 May 2014

उस बारिश में.....इस बारिश में

उस बारिश में.....इस बारिश में

6 July 2013 at 00:28
 उस बारिश में......

उस बारिश में सुबह खिली थी
कचनारों के रंग रंगी थी ,
 रात की रानी महकी महकी.  
बूँद बूँद में रची बसी थी ,

पाँव के नीचे दूब हरी सी ,
मलमल सा एहसास दे गयी,
 पहन ओस के मोती गहने,
 छुवन ज़रा सी शोर कर गयी .

कुछ पांखी जागे हैं फिरसे ,
 नीड नए कुछ और तन गए,
एक नयी दुनिया रचने को,
मीत से अब मनमीत बन गए





कितने फूल  खिले धरती पर,
इंद्र धनुष के रंग भी कम हैं,
मन मयूर भी पंख लगाकर,
अम्बर पर बादल से उड़ गए.


गहरे काले भूरे फाहे उड़कर
ठहरे देखो कौन सी ठांव,
उनकी मर्जी आज येही पर
बरसो जमके अपने गाँव.

मन बहका या बचपन लौटा ,
दोनों ही तो एक ही जैसे,
आँखों को अम्बर पर रखकर,
कहाँ कहाँ देखो ये भटके.


इस बारिश में........................................... (-:



शब्द नहीं हैं मेरे पास.......


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