Monday, 19 May 2014

ओ छितिज के पार वाले.....नील अम्बर पुष्प धारे

ओ छितिज के पार वाले.....नील अम्बर पुष्प धारे

1 September 2013 at 15:37




ओ ! छितिज़ के पार वाले,
नील अम्बर पुष्प धारे,
परावर्तित रौशनी में भी,
श्याम तुम तो निरे कारे

दृग हमारे खोजते हैं ,
धरा से उस छितिज पारे,
तुम बसे हो गर कणों में,
क्यों नहीं चमके सितारे?



नीला अम्बर , हरी यमुना,
श्याम सी वृंदा भी कारी , 
वो कदम्ब अब भी वही है
तुम थे हरदम जहां ठाडे ,

सुर बहे थे माझी के संग,
तुम जो थे पतवार म्हारे,
रंग बदलो आ मिलो अब,
 नैन सूर्य तुम पे वारे..

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