Sunday, 18 May 2014

जब ग़मों को याद किया मुस्करा कर- वो मेरी खुशियों में शरीक हो गए..

जब ग़मों को याद किया मुस्करा कर- वो मेरी खुशियों में शरीक हो गए..

27 October 2012 at 16:39



जिया मैंने उन पलों को ,
आंसुओं का साथ था बस
तुम कहो ये सच तो है ना
सबके दिल की बात है ये ,


कुछ विवशता, सहमा था मन
भारी मन , गहरा अन्धेरा
शिथिल धड़कन , कम था संयम 
फिर भी जतन , मथता चिंतन



एक रेखा अलक तक थी 
चमक मेरे पलक में थी 

जहन में थोडा सा गम था


मुस्करा तू  बात ये थी


हंसने की जद्दो जहद में
घुल गया गम , एक पल में
पी गया मन हंसके उसको
अश्रु जो थे वो खुशी के



हंसके जो देखेगा सूरज
लाल ही वो फिर दिवस भर
शाम तक आभा दिखेगी
चांदनी खुल कर हँसेगी//

एक आशा की किरण से
जल गया दीपक सृजन से
बाँध कर मुट्ठी में अपने
हंसो खुल कर भूल कर गम

No comments:

Post a Comment