"मैं सरबजीत हूँ "
"मैं सरबजीत हूँ"
सबको जीता , खुद से हारा ,
मुझे कुछ गैरों ने मारा
कभी लगता है की जीवन
जी रहा हूँ मैं बेचारा
याद है अपनी जमी अब
सोंधी माटी की कमी अब
दूर हूँ अपनों से कब से
दूं किसे आवाज अब मैं
कैसे विछडा , कब था विछडा
याद है मुझको ये पहरा
हर तरफ चौकस निगाहें
मगर मन का टूटा पिंजरा
रहता हर पल पास उसके
छोड़ आया साथ जिसके
<p>छप गयी मन पे निगाहें</p> बूँद आंसू, फ़ैली बाहें
भूलूँ मैं स्पर्श कैसे
नन्हें हाथ गुडिया के जैसे
<p>कौन होगा अब सहारा</p> पूछता हूँ प्रार्थना में
मातृभूमि तू बुला ले
मेरी अपनी माँ पुकारे
<p>साथ फेरे की कसम है</p> संगिनी का संग ला दे
मैं अभागा बन गया हूँ
<p>दोष मेरा मैं ना जानू</p> <p>क्या किया था मैंने बोलो</p> <p>भारती माँ - अब बुला ले</p>
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