जब कुछ टूटता है मुझमे
शोर बहुत परेशान करता है
लोगों का हो - हल्ला
बेवजह हंसी के फ़ौवारे
कहते हैं वेवजह भी हंसना चाहिए
फिर मुझे क्यों नहीं आती ?
क्या ? अरे वही ! बेवजह हंसी
टूट कर विखरने के बाद
हंसी की कोई वजह नहीं होती
मौन और चिंतन दोनों घेरते हैं
मैं अभिमन्यु नहीं बन सकती
मगर वो विषादों का चक्रव्यूह
बहुत कडा घेरा होता है
टूट रहा है अब भी अनवरत
मौन की चीत्कार परेशान करती हैं
कुछ कदम चल कर देखूं
शायद जोड़ सकूं खुद से खुद को
शोर बहुत परेशान करता है
लोगों का हो - हल्ला
बेवजह हंसी के फ़ौवारे
कहते हैं वेवजह भी हंसना चाहिए
फिर मुझे क्यों नहीं आती ?
क्या ? अरे वही ! बेवजह हंसी
टूट कर विखरने के बाद
हंसी की कोई वजह नहीं होती
मौन और चिंतन दोनों घेरते हैं
मैं अभिमन्यु नहीं बन सकती
मगर वो विषादों का चक्रव्यूह
बहुत कडा घेरा होता है
टूट रहा है अब भी अनवरत
मौन की चीत्कार परेशान करती हैं
कुछ कदम चल कर देखूं
शायद जोड़ सकूं खुद से खुद को
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